- संजय जोशी 'सजग'
- व्यंग्य
मूड है कि मानता नहीं
जिस प्रकार चायना के मॉल का कोई भरोसा नहीं रहता है फिर भी इसका उपयोग करना हमारी जिन्दादिली है, उसी तरह आजकल मूड़ का कोई भरोसा नही कब खराब हो जाये यह एक गंभीर समस्या बन गई है
- बृजराज सिंह, मुजफ्फरनगर
- कथा कहानी
अस्तित्व
टी.वी. पर प्रवासी मजदूरों के पलायन और मारा-मारी का हाल देखकर मैं बार-बार सोचता हूं कि कितने नासमझ और बेवकूफ हैं ये लोग, क्या इन्हें कोरोनावायरस की महामारी का अभी तक पता ही नहीं चला या अपनी जान की बिल्कुल भी चिन्ता नहीं।
- डॉ. जगदीश व्योम
- कविता / ग़ज़ल
नववर्ष तुम्हारा अभिनंदन
आमों पर खूब बौर आए
भँवरों की टोली मँडराए
बगिया की अमराई में फिर
कोकिल पंचम स्वर में गाए
- रामकिशन शर्मा
- कथा कहानी
लगाव
गर्मियों का मौसम था| हमेशा की तरह गर्मियों की छुट्टियों में सपरिवार अपने गाँव गए हुए थे| जब वापिस लौटे तो पाया, ड्राइंग-रूम में इधर-उधर कुछ तिनके फैले हुए हैं| अरे! ये तिनके कहाँ से आ गए? किस ने फैलाये होंगे? सब हैरान थे और चारों तरफ अपनी निगाहें दौड़ा रहे थे| आखिर पता चल ही गया|
- गोपाल सिंह राघव
- व्यंग्य
जाने वाला बोल रहा था
मैं तो समय का एक पीस हूं
मृत शैय्या पर पड़ा सन् दो हजार बीस हूं।
जब मेरा आगमन हुआ, आप सभी ने हैप्पी न्यू ईयर कहा।
अब जरा पता करके बताओ, कौन-कौन हैप्पी रहा?
- डॉ. पुष्पलता
- कविता / ग़ज़ल
उदास पानी
रंग सारे उदास पानी के,
बस रहें आस-पास पानी के।
ओक भी है उदास औ' लब भी,
प्यास बैठी है पास पानी के।
- अनूप मिश्र तेजस्वी
- कविता / ग़ज़ल
कई !
हर क़दम पर हैं इम्तिहान कई।
है अकेला दिया, तूफ़ान कई।
एक साये को तरसते हैं हम,
यूँ तो सर पर हैं आसमान कई।
- विजया गुप्ता
- व्यंग्य
मठाधीश / एक रेखाचित्र
वे स्वयं भू हैं,
वे सर्वज्ञ हैं, ज्ञानी हैं,
वे स्वघोषित मठाधीश हैं,
वे ही मुवक्किल, मुंसिफ और न्यायाधीश हैं।
- किशन स्वरूप
- कविता / ग़ज़ल
आईने से गुफ्तगू
महफ़िल पै थी निगाह यही सोचते रहे,
आई किधर से वाह यही सोचते रहे।
उम्मीद कम थी फिर भी भरोसा ज़रूर था,
कोई तो दे पनाह यही सोचते रहे।
- विजय "तन्हा"
- कथा कहानी
ईमानदारी
जिम्मेदारियों के पहाड़ ने मनोहर लाल को बीमार कर डाला उनको रात दिन जवान बेटी की शादी और शिक्षित बेटे की नौकरी की चिंता सुकून नहीं लेने दे रही थी।
- धनञ्जय सिंह
- कविता / ग़ज़ल
अकुलाये सिंह-व्याघ्र-चीते
प्रहर-दिवस, मास-वर्ष बीते
जीवन का कालकूट पीते.
पूँछें उपलब्धियाँ हुईं
खेलते हुए साँप-सीढ़ी
मंत्रित-निस्तब्ध सो गयी
- सूर्यकांत द्विवेदी
- कविता / ग़ज़ल
जब तक सूरज चाँद रहेगा
आग पर पानी
डालकर
राख सुलगाते हैं
कितने कमजोर
हैं, हम जो नाहक
डरकर भाग जाते हैं।
- सुशीला शर्मा
- कविता / ग़ज़ल
गीत लाडले
स्मृतियों के वातायन से,
झाँक- झाँक कर मुझे रिझाते।
भावों के झरने नि:सृत हो,
तृषित अधर की प्यास बुझाते।।
- डॉ रामशंकर चंचल
- कथा कहानी
पिता को अग्नि
भिलांचल झाबुआ का छोटा सा कस्बा रामनगर ,जहाँ चार खम्भो पर टिकी बांसों की झोपड़ी में सोमला अपने बुजुर्ग माता पिता के साथ रहता था। सोमला जवान था किंतु निरक्षर जिसे अ अनार का भी याद नहीं।अपनी झोपड़ी के समीप उसका छोटा सा खेत था।
- डॉ.सविता सिंह
- कथा कहानी
असंदिग्ध लौ
आज अचानक मेरे मित्र का वीडियो कॉल आया और मैं सो कर भी नहीं उठी थी इसलिए मैंने फोन नहीं उठाया। लेकिन जब देखा तो खुद को रोक नहीं पाए और रजाई को पलटकर ब्रश करके तुरंत नीचे हॉल में जाकर उन्हें फोन लगा ही दिया।
- डाॅ.क्षमा सिसोदिया
- कथा कहानी
मुक्तिगान
घोर कलयुग आ गया है ।एक ही बेटा है और कुछ कमी भी नहीं है,इतनी ज़मीन-जायदाद..... ...?
"राम-राम ऐसा अनर्थ तो न कभी देखा,न सुना।
पहली बार ऐसा अनोखा खेल अपने समाज़ में हो रहा है।
- राम कुमार कृषक
- कविता / ग़ज़ल
मौसम के बहाने एक नई ग़ज़ल
हमसे मौसम ने कहा हमने निकाली चादर
जिसमें पुरखों की बसी गंध संभाली चादर
दिन में पूरी थी मगर रात अधूरी - सी लगी
सिर पे खींची तो कभी पांव पे डाली चादर
- सुरेश साहनी
- कविता / ग़ज़ल
अँधेरों तुमको जाना ही पड़ेगा
मेरे आगे वो मंज़र आ रहे हैं।
वो ख़ुद चलकर मेरे घर आ रहे हैं।।
मैं सहराओं के जंगल मे खड़ा हूँ
सफीने पर बवण्डर आ रहे हैं।।
- विजया गुप्ता
- समीक्षा
बाल मन को प्रभावित कर रास्ता दिखाने वाला "दूब का बन्दा"
पुस्तक - "दूब का बन्दा"
लेखिका- "डॉ पुष्पलता "
डाक्टर पुष्प लता अधिवक्ता बहुमुखी प्रतिभा की धनी एक सुपरिचित साहित्यकार हैं। उनका लेखन अनेक विधाओं में है।तीन खंड काव्य सहित उनकी लगभग बीस पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।
- श्वेता शर्मा
- कथा कहानी
सुकून भरी मुस्कराहट
"यार, क्या हॉट लड़की है प्रिया, अब और रहा नहीं जाता; हमें उसका आने जाने का रूटीन पता तो है ही, तो क्यों ना कल उसे किडनैप कर अपनी अपनी प्यास बुझाए?, बोलो क्या कहते हो सब?" मयंक ने अपने दो दोस्तों आलोक और विनय से एक गन्दी हंसी के साथ पूछा।