- बृजराज सिंह, मुजफ्फरनगर
- कथा कहानी
टी.वी. पर प्रवासी मजदूरों के पलायन और मारा-मारी का हाल देखकर मैं बार-बार सोचता हूं कि कितने नासमझ और बेवकूफ हैं ये लोग, क्या इन्हें कोरोनावायरस की महामारी का अभी तक पता ही नहीं चला या अपनी जान की बिल्कुल भी चिन्ता नहीं।
- रामकिशन शर्मा
- कथा कहानी
गर्मियों का मौसम था| हमेशा की तरह गर्मियों की छुट्टियों में सपरिवार अपने गाँव गए हुए थे| जब वापिस लौटे तो पाया, ड्राइंग-रूम में इधर-उधर कुछ तिनके फैले हुए हैं| अरे! ये तिनके कहाँ से आ गए? किस ने फैलाये होंगे? सब हैरान थे और चारों तरफ अपनी निगाहें दौड़ा रहे थे| आखिर पता चल ही गया|
- विजय "तन्हा"
- कथा कहानी
जिम्मेदारियों के पहाड़ ने मनोहर लाल को बीमार कर डाला उनको रात दिन जवान बेटी की शादी और शिक्षित बेटे की नौकरी की चिंता सुकून नहीं लेने दे रही थी।
- डॉ रामशंकर चंचल
- कथा कहानी
भिलांचल झाबुआ का छोटा सा कस्बा रामनगर ,जहाँ चार खम्भो पर टिकी बांसों की झोपड़ी में सोमला अपने बुजुर्ग माता पिता के साथ रहता था। सोमला जवान था किंतु निरक्षर जिसे अ अनार का भी याद नहीं।अपनी झोपड़ी के समीप उसका छोटा सा खेत था।
- डॉ.सविता सिंह
- कथा कहानी
आज अचानक मेरे मित्र का वीडियो कॉल आया और मैं सो कर भी नहीं उठी थी इसलिए मैंने फोन नहीं उठाया। लेकिन जब देखा तो खुद को रोक नहीं पाए और रजाई को पलटकर ब्रश करके तुरंत नीचे हॉल में जाकर उन्हें फोन लगा ही दिया।
- डाॅ.क्षमा सिसोदिया
- कथा कहानी
घोर कलयुग आ गया है ।एक ही बेटा है और कुछ कमी भी नहीं है,इतनी ज़मीन-जायदाद..... ...?
"राम-राम ऐसा अनर्थ तो न कभी देखा,न सुना।
पहली बार ऐसा अनोखा खेल अपने समाज़ में हो रहा है।